रंगमंच तो बस एक किनारा है, दुनिया को सिर उठा कर देखने का,। जानिए

प्रयास उत्तराखंड देहरादून:  रंगमंच तो बस एक किनारा है, दुनिया को सिर उठा कर देखने का, उसके उथल पुथल को काबू करने का नहीं , बस उस उथल पुथल की बातों को दोहराने का, पर इसका अंदाजा और इसका अनुभव एक रंगकर्मी ही दे सकता है, जब ग्लोबली कोराना का असीमित प्रकोप सभी जनजागरण को बे उमीद कर रहा है , उस आपातकालीन समय में नाट्य कर्मी क्या के सकता है? अपने मंच और आवाज़ की उम्मीद को बुलंद करते हुए , ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों में उत्साह और संघर्ष जागृत रख सकता है, कई ऐसे देश विदेश के सुप्रसिद्ध कलाकारों ने सोशल मीडिया के जरिए लोगों में शांति और हौसला बनाए रखने के लिए ऐसी ही चीज की , कवितायों , किस्सागोई, प्ले रीडिंग, नॉवेल रीडिंग, जैसे प्रतिक्रियाएं उन्होंने जारी रखी, कई नाटक समूह ने अपने नाटक मंचन ज़ूम और गूगल मीट द्वारा किया, इन सब के बीच संसप्तक नाट्य समूह लगातार घोर संघर्ष के साथ अपने काम को विराम न देते हुए चाहे समय तालाबंदी का रहा हो य महामारी के उतार चढ़ाव का, भले काम करने के माध्यम में बदलाव आया हो पर उन्होंने ने नाटक करना जारी रखा, उससे जुड़े कई वर्कशॉप और एक्सरसाइज भी इस दौरान करता रहा ताकि नाट्य कर्मी अपने काम की विधाओं को ना भूले, इसके साथ ही साथ ये भी मिशाल तय की आज नहीं तो कल हम फिर उसी ढर्रे पर उतरेंगे , 1992 में इस समूह की स्थापना हुई जिसके बाद लगातार 2019 तक इस गिरोह ने नाट्य मंचन की क्रियों को जारी रखा, अवंट गर्डे कला मुहिम से प्रेरित इस बंगाली नाटक दल सनसप्तक ने, कई प्रयोगवाद नाटक, थिएटर वर्कशॉप, और खुद की एक आर्ट मूवमेंट की भी शुरुआत की , जिसे वह थिएटर ऑफ़ द डार्क के नाम से बताते है, बंगाली के आलावा हिंदी, कोरथा, जैसे रीजनल भाषाओं में भी काम किया है, इस दल के और बंगाली नाटक समाज के प्रचिलित नाटककार श्री तरित मित्रा के संचालन में इन सभी नाटक संबंधी प्रतिक्रियाओं का संचालन हुआ है, लगातार संघर्षों के बाद कोराना के शुरुआती दौर यानी की साल 2020 में इस दल ने कुंभोक शॉर्ट फिल्म सीरीज का प्रदर्शन दिया, जिसमे कई नाटकों का फिल्मी रूपांतरण कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसकी प्रस्तुति की, उसके उपरांत 18 जून 2021 को दल ने डिजिटल इवेंट की शुरुआत की जिसमे, दल के सभी 11 सदस्यों ( अंजन बोस, रूमा बोस, सर्नेंदू चाकी, श्रीमोई दासगुप्ता, परोमा भट्टाचार्य, अर्पणा सेन, कौशकी देब, राना मित्रा, सुबिर मैटी, सचिन बिष्ट, अमन श्रीवास्तव ) ने पूर्व चल रहे कुछ स्पीच और लेखन के वर्कशॉप अटेंड किए और उसके बाद 18 जून 2021 से लेकर 24 जून के अंतराल अपने लेखन और स्पीच का उपयोग करते हुए डिजिटल प्रस्तुति दी

, इस पूरे इवेंट का संचालन श्री तारित मित्रा जी ने किया, इनके साथ ही साथ, इस प्रस्तुति में मौखिक और लेखन के आलवा आज के दौर का साहित्य और सामाजिक समस्याओं को भी खासा ध्यान में रखते हुए , इन नए 11 लेखकों ने अपनी प्रस्तुति तैयार की, इनमें कहानी, नाटक , कविता, सोलो मौखिक अभिनय भी शामिल रहा, इस दल के गुरु श्री मित्रा ने बातचीत के दौरान एक मुखर नारे को दोहराएं, जो उनके दल में कभी चलित है, हम नाटक नहीं करते, हम जिंदगी करते है ।

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