प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश तथा प्रदेश में वर्षों से लम्बित पड़ी परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करने के क्रम में उत्तर प्रदेश के किसानों को 40 वर्ष पुरानी सरयू नहर परियोजना की सौगात देंगे। प्रदेश में 1971-72 में शुरू हुई परियोजना की शुरुआती लागत 78 करोड़ थी, लेकिन 2018 में इसको फिर से शुरू कर अंजाम तक लाया गया है।
पीएम मोदी के निर्देश पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चालीस वर्ष पुरानी इस परियोजना को चार वर्ष में पूरा कराया है। जिसका लाभ 14 लाख 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल की भूमि को मिलेगा। 9802 रुपए की इस परियोजना का लाभ नौ जिलों के 30 लाख किसानों को मिलेगा। इसकी मुख्य नहर 350 किलोमीटर लम्बी है, जबकि सहायक नहरों की लम्बाई 6600 किलोमीटर है। यह परियोजना के तहत पांच नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा व रोहिणी नदी से जुड़ी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को बलरामपुर में बहराइच मार्ग पर हंसुवाडोल गांव में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का लोकार्पण करेंगे। लम्बे लंबे इंतजार के बाद प्रधानमंत्री शनिवार को दोपहर एक बजे बटन दबाकर नौ जिलों बहराइच, गोंडा, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज व संतकबीरनगर को जोडऩे वाली सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का शुभारंभ करेंगे। परियोजना का निर्माण 1971-72 में शुरू हुआ था, जो इस वर्ष पूरी हुई।
पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि बलरामपुर की मिट्टी को नमन कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूर्वी उत्तर प्रदेश को सिंचाई के लिए नायाब तोहफा देंगे। सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के लोकार्पण कार्यक्रम में दो लाख लोगों के आने की संभावना है। 9802 करोड़ रुपये की लागत से पूरी हुई इस परियोजना से 14 लाख 50 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी, जिसका लाभ 30 लाख किसानों को मिलेगा। मुख्य नहर 350 किलोमीटर लंबी है। इससे निकली नहरों की लंबाई 6600 किमी है। पांच नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा व रोहिणी को जोड़कर नहर बनाई गई है।
परियोजना की कुल लागत 9800 करोड़ रुपए
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना की कुल लागत 9800 करोड़ रुपए है, जिसमें से पिछले चार वर्ष में 4600 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया। इस परियोजना में क्षेत्र के जल संसाधनों का श्रेष्ठत्म उपयोग सुनिश्चित करने के लिए पांच नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिणी को आपस में जोड़ा गया है। इससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के नौ जिले बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संत कबीर नगर, गोरखपुर और महाराजगंज के किसान लाभान्वित होंगे। इस परियोजना के विलंबित होने से सर्वाधिक पीडि़त किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा। उन्नत सिंचाई क्षमता से अत्यधिक लाभान्वित होंगे। इसके साथ अब बड़े पैमाने पर फसल उगाने और क्षेत्र की कृषि क्षमता को अधिकतम करने में सक्षम होंगे।
बाढ़ से मिलेगी राहत, किसानों को मिलेगा मुफ्त पानी
सरयू नहर परियोजना जहां किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए मुफ्त पानी की सुविधा मिलेगी। वहीं, दूसरी तरफ बाढ़ की त्रासदी भी कम होगी। नदियों के पानी का डायवर्जन नहरों में होने से बाढ़ का असर कम होगा।
कम होगी तीन जिलों की दूरी
सिंचाई के साथ इस परियोजना से तीन जिलों की दूरी भी कम हो जाएगी। राप्ती मुख्य नहर के दोनों तरफ पक्की सड़क भी बनाई जाएगी। नहर किनारे से निकली सड़क की पटरी श्रावस्ती से सीधे सिद्धार्थनगर तक जाती है। इससे तीन जिलों श्रावस्ती, बलरामपुर व सिद्धार्थनगर की आपस में दूरी कम हो जाएगी। अब तक श्रावस्ती से सिद्धार्थनगर 102 किलोमीटर है। इस मार्ग से यह दूरी 30 किमी कम हो जाएगी।
1978 में शुरू हुआ काम
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना पर काम 1978 में शुरू हुआ लेकिन प्रदेश में शासन करने वाली सरकारों की प्राथमिकता बदलने के साथ बजटीय समर्थन की निरंतरता, अंतरविभागीय समन्वय और पर्याप्त निगरानी के अभाव में इसमें देरी हुई और लगभग चार दशकों के बाद भी पूरा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन और राष्ट्रीय महत्व की लंबे समय से लम्बित परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की उनकी प्रतिबद्धता ने परियोजना पर बहुत आवश्यक ध्यान केंद्रित किया। किसान कल्याण और सशक्तिकरण के लिए इस परियोजना को 2016 में समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लक्ष्य के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि सिंचाई योजना को शीर्ष वरीयता पर रखा। प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ ने शपथ लेने के बाद इस प्रोजेक्ट पर ध्यान दिया।