प्रयास उत्तराखंड 11 दिसंबर 2020. देहरादून के गढ़ीकैंट स्थित पर्यटन विभाग के कार्यालय में आज पर्यटन विभाग एवं सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में प्रतिभाग किया और सौंग बांध पेयजल परियोजना के तकनीकी पहलुओं की जानकारी ली। पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस परियोजना का मॉडल भी देखा।
इस परियोजना के पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना हेतु राजकीय भूमि उपलब्ध हो जाती है तो पुनर्वास पर लगभग 134 करोड़ रुपए का व्यय भार अनुमानित है। परियोजना के तहत पूर्ण प्रभावित खाताधारकों को अधिग्रहित भूमि के एवज में आधा एकड़ विकसित कृषि भूखंड एवं 200 वर्ग मीटर विकसित आवासीय भूखंड दिया जाएगा।
अगर कोई पूर्ण प्रभावित पुनर्वास स्थल में विस्थापना नहीं चाहता तो उस पूर्ण प्रभावित को अधिग्रहित भूमि का प्रतिकर देय होगा। कारीगर, छोटे व्यापारी या स्वनियोजित व्यक्ति के प्रत्येक प्रभावित कुटुम्ब या ऐसे प्रभावित कुटुम्ब जिसके स्वामित्वाधीन प्रभावित क्षेत्र में गैर कृषि भूमि, वाणिज्यिक, औद्योगिक या संस्थागत ढांचा है और जिसे अस्वैच्छिक रूप से विस्थापित किया गया है, ऐसी रकम की एक बारगी वित्तीय सहायता पाएगा। यह न्यूनतम 25,000 रुपए की सीमा के अधीन विनिर्दिष्ट की जाएगी।
टिहरी जनपद की सौनधाना पट्टी में 3.5 किलोमीटर लंबी झील का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। अधिकारियों को निर्देश दिए कि सौनधाना पट्टी में गंधक पानी का स्रोत है, जो आयुर्वेदिक दवा का काम करता है, अतः पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए यहां झील के अलावा वेलनेस सेंटर, होम-स्टे, योग केंद्र आदि की व्यवस्था की जाए।
इससे स्थानीय युवाओं को रोज़गार के अवसर प्राप्त होंगे। स्थानीय उत्पादों का उत्पादन किया जाएगा तथा यहां आने वाले पर्यटकों को पहाड़ी व्यंजन परोसे जाएंगे ताकि इन्हें बढ़ावा मिले। जो पर्यटक उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्र में स्थित गांव में आकर एक रात के लिए रुकेगा, उसे प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। बैठक में अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए कि वे शीतकालीन कार्यक्रम आयोजित करें, जिससे पर्यटक इन अंतिम गांवों की ओर आकर्षित हों।