प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस का नाम लिए बगैर उसे विकास कार्यों के आधार पर महासमर में उतरने की चुनौती दे डाली

उत्तराखंड अलग राज्य बनने के बाद पांचवें विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है। फिर ऐतिहासिक प्रदर्शन के साथ सत्ता में वापसी की तैयारी में जुटी भाजपा के लिए स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनाव अभियान की शुरुआत करने देवभूमि उत्तराखंड पहुंचे तो उन्होंने कांग्रेस का नाम लिए बगैर उसे विकास कार्यों के आधार पर महासमर में उतरने की चुनौती दे डाली। पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त की गई घोषणाओं को धरातल पर उतार मोदी ने नई घोषणाएं की तो निश्चित तौर पर वह विकास के मामले में जनता का भरोसा जगाने में सफल रहे।

उत्तराखंड में वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा का एक स्लोगन चर्चा में आया था। तब प्रधानमंत्री मोदी ने देहरादून में हुई पहली चुनावी रैली में डबल इंजन के नाम पर उत्तराखंड में जनादेश मांगा। डबल इंजन, यानी केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार, ताकि विकास कार्यों में किसी तरह का गतिरोध न पैदा हो और राज्य प्रगति के पथ पर तेजी से अग्रसर हो। उस वक्त उत्तराखंड में कांग्रेस सत्ता में थी, जबकि केंद्र में मोदी सरकार अपने तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करने जा रही थी। प्रधानमंत्री मोदी ने तब जिस अंदाज में यह बात कही, चुनाव में उसका असर साफ तौर पर दिखा भी।

वर्ष 2017 में भाजपा को तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत मिला। यह राज्य बनने के बाद पहला अवसर रहा, जब किसी पार्टी को इतनी ज्यादा सीटें मिलीं। इससे पहले के तीन चुनाव में सरकार बनाने वाली पार्टी को या तो मामूली बहुमत ही मिला या फिर बहुमत का आंकड़ा न छू पाने के कारण अन्य दलों व निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनानी पड़ी। महत्वपूर्ण बात यह कि इसी चुनाव से पहले प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड में लगभग 12 हजार करोड़ की लागत की चार धाम आल वेदर रोड के निर्माण की घोषणा की। इसके अलावा भी पिछले पांच वर्षों के दौरान केंद्र ने उत्तराखंड को कई बड़ी परियोजनाओं की सौगात दी।

इनमें केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना और भारत माला परियोजना के तहत राज्य में सड़क नेटवर्क के विकास की परियोजना मुख्य रूप से शामिल हैं। महत्वपूर्ण यह कि इन सभी परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है और आने वाले कुछ वर्षों में ये धरातल पर उतरी नजर आएंगी। दरअसल, पांच वर्ष पहले जब मोदी ने आल वेदर रोड समेत अन्य घोषणाएं की थी, तब अगर किसी को इनके पूरा होने में कोई संदेह रहा भी होगा, तो अब पांच वर्ष बाद उसके लिए कोई गुंजाइश नहीं।

प्रधानमंत्री ने जिस तरह देहरादून की विजय संकल्प रैली में पिछली सरकार के 10 वर्ष और अपनी सरकार के सात वर्षों के विकास कार्यों का आंकड़ों के साथ ब्योरा दिया, उसने रही-सही कसर भी पूरी कर दी। उत्तराखंड में राष्ट्रीय राज मार्गों का निर्माण, केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण, सीमावर्ती क्षेत्र में आधारभूत ढांचे का विकास जैसे विषय प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के विशेष परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किए। यही वजह है कि आम जनता में मोदी की विश्वसनीयता इस बार और अधिक बढ़ी दिखाई दे रही है। पिछले पांच वर्षों में उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार विकास की पटरी पर सरपट जो दौड़ी है।

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