लखनऊ, जिस तरह से प्रदेश के लगभग सभी जिलों का कोई न कोई विशेष उत्पाद है, उसी तरह अधिकांश तहसीलें भी विशिष्ट उत्पाद के लिए जानी जाती हैं। चाहे घोसी तहसील के गोठा कस्बे का गुड़ हो या हरदोई के संडीला का लड्डू। इसे देखते हुए योगी सरकार एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) की तर्ज पर एक तहसील, एक उत्पाद (ओटीओपी) योजना भी शुरू करने जा रही है। इसके जरिए सरकार की मंशा प्रत्येक तहसील तक रोजगार और कारोबार पहुंचाने की है।
प्रदेश के अधिकांश जिलों की तहसीलें या उनका कोई कस्बा किसी न किसी उत्पाद के लिए जाना जाता है। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, ओडीओपी की सफलता से उत्साहित योगी सरकार अब एक तहसील, एक उत्पाद योजना शुरू करने की तैयारी कर रही है। सरकार का मानना है कि ओडीओपी की तर्ज पर यदि तहसीलों के इन उत्पादों की पैकेजिंग, डिजाइनिंग, ब्रांडिंग, मार्केटिंग, जरूरत के अनुसार पूंजी की उपलब्धता और इनसे जुड़े लोगों के कौशल को निखारने के लिए प्रशिक्षण आदि की सुविधाएं दी जाएं तो इनकी भी संभावनाएं ओडीओपी की तरह ही बढ़ जाएंगी।
समय के साथ इन उत्पादों के जरिए ब्रांड यूपी देश-दुनिया में और मजबूत होगा। एक तरीके से यह ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) का ही विस्तार होगा। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार एमएसएमई विभाग इस दिशा में काम करने जा रहा है। पहले चरण में जिले के स्थानीय प्रशासन से मिलकर तहसीलवार ऐसे उत्पादों की सूची तैयार की जााएगी। किसी विशेषज्ञ संस्था के सहयोग से इनकी संभावनाओं को विस्तार देने के लिए जमीनी स्तर पर काम करने की कार्ययोजना बनवाई जाएगी।
उल्लेखनीय है कि सीएम योगी ने अपने पहले कार्यकाल में 24 जनवरी, 2018 को उत्तर प्रदेश के पहले स्थापना दिवस की शुरुआत करते हुए ओडीओपी योजना लांच की थी। योजना के तहत चिन्हित उत्पादों को कीमत एवं गुणवत्ता में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इनसे जुड़े लोगों के कौशल विकास, उत्पादों की डिजाइन एवं पैकेजिंग, पूंजी की उपलब्धता में सहयोग किया गया। उसके बेहतर परिणाम सामने आए। एमएसएमई का निर्यात में जो वृद्धि हुई, उसमें सबसे बड़ा योगदान ओडीओपी का ही रहा।